स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, मंडी। अब फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT Mandi) ने प्राकृतिक पालीमर-आधारित बहुक्रियाशील स्मार्ट माइक्रो जेल तैयार किया है। इसे मिट्टी में मिलाकर या पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं।
यह नाइट्रोजन और फास्फोरस का प्रमुख स्रोत है और धीरे-धीरे पौधे के विकास में मददगार होगा। यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित जर्नल एप्लाइड मैटीरियल्स एंड इंटरफेसेस (एसीएस) में प्रकाशित हुआ है।
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना अधिक महत्वपूर्ण
शोध स्कूल आफ केमिकल साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. गरिमा अग्रवाल ने अपनी टीम अंकिता धीमान, पीयूष थापर और डिंपी भारद्वाज के साथ किया। डॉ. गरिमा ने बताया कि माइक्रो जेल को पौधे के विकास की अवधि में नाइट्रोजन (एन) और फास्फोरस (पी) उर्वरकों की धीमी रिहाई के लिए बनाया है। यह पर्यावरण को भी प्रभावित नहीं करेंगे और फसल पौष्टिक होगी। वैश्विक जनसंख्या 2050 तक अनुमानित 10 बिलियन की ओर बढ़ेगी। ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना अधिक महत्वपूर्ण है।
उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ये फसल
कृषि इस मांग को पूरा करने और उर्वरक फसल उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पारंपरिक नाइट्रोजन और फास्फोरस उर्वरकों की अक्षमता की अवशोषण दर 30 से 50 प्रतिशत और 10 से 25 प्रतिशत है। ऐसे में बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए उर्वरक का निर्भरता अधिक है। उनकी प्रभावशीलता गैसीय अस्थिरता और लीचिंग जैसे कारकों पर प्रभाव डालती है।
नतीजतन अत्यधिक उर्वरक उपयोग से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसमें भूजल और मिट्टी प्रदूषण व मानव स्वास्थ्य खतरे भी शामिल हैं इसलिए उर्वरक को धीमे-धीमे छोड़ने के लिए यह तकनीक विकसित की गई है।
फास्फोरस के संभावित स्रोत के रूप में काम करता है माइक्रो जेल
डॉ. गरिमा अग्रवाल ने बताया कि प्राकृतिक पालीमर-आधारित बहुक्रियाशील स्मार्ट माइक्रो जेल पौधों के लिए फास्फोरस के संभावित स्रोत के रूप में काम करता है। माइक्रो जेल को मिट्टी में मिलाकर या पौधों की पत्तियों पर छिड़ककर लगाया जा सकता है। मक्की के पौधों पर 21 दिन तक किए गए अध्ययन से पता चला है कि यह फार्मूलेशन शुद्ध यूरिया उर्वरक की तुलना में मक्की के बीज के अंकुरण और समग्र पौधों के विकास में काफी सुधार करता है।
नाइट्रोजन और फास्फोरस उर्वरकों का लगातार मिलना फसलों को बढ़ने में मदद करता है। यह पोषक तत्वों की आपूर्ति को अनुकूलित करने, फसल की पैदावार बढ़ाने और पारंपरिक उर्वरकों से जुड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों को कम करते हैं।
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